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May 4
आदमी पर
आरोप लगने
कोई नई बात नहीं।
बेशक वह कितना भी सही
क्यों न रहा हो ?
आरोप
आर से लगें
या पार से लगें ,
ये बस किसी आधार पर लगें।
झूठे और मिथ्या आरोप
किसी पर मढ़े न जाएं।
आरोप प्रत्यारोप की रस्सी पर
आदमी संतुलन बना कर चले
ताकि वह अचानक
कभी औंधे मुंह नहीं गिरे।
जीवन पर्यन्त
वह कालिख रहित  बना रहे।
वह पतन के गड्ढे में गिरने से
सुरक्षित बना रहे
और वह जीवन पथ पर डटा रहे।
वह निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास करता रहे।
०४/०५/२०२५.
Written by
Joginder Singh
32
 
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