वैसे तो लोग और देश आपस में लड़ते हैं, कभी हारते हैं तो कभी जीतते भी हैं। मेरा देश आज़ादी के बाद चार युद्ध लड़ चुका है , वह अपने पड़ोसी से शांति चाहता रहा है। पर उसे अशांति ही मिलती रही है।
अब पांचवीं लड़ाई की तैयारी है । यह कभी भी शुरू हो सकती है। कोई भी देश जीते या फिर हारे। अवाम हर हाल में बदहाल होगी। देश की प्रगति दशकों पीछे जाएगी। फिर भी किसी को सुध बुध नहीं आएगी। कुछ वर्ष ठहर कर क्या फिर से युद्ध लड़ा जाएगा ? नेतृत्व का अहम् विकास को धराशाई करता नजर आएगा। जीता हुआ देश हारे हुए देश को चिढ़ाएगा। हमारा अपना देश दुर्दिन और दुर्दशा झेलता देखा जाएगा। व्यवस्था परिवर्तन के बावजूद किसी के हाथ पल्ले कुछ नहीं आएगा। ०३/०५/२०२५.