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May 2
असली आज़ादी को
कौन
मौन रहकर
भोग पाता है ?
एक योगी या फिर कोई भोगी ?? ‌
या फिर
जिसने जीवन में
शेरनी का दूध पिया है ?
अभी अभी
पढ़ा है कि
दुनिया में
कोई विरला ही होता है ,
जिसे असल में
यानी कि सचमुच
शेरनी का दूध पीने का
सौभाग्य मिला हो।
एक या दो चम्मच से ज्यादा
शेरनी का दूध
पीने से
यह आदमी को यमपुरी की राह ले जा सकता है
क्यों कि
इस दूध की तासीर गर्म है ,
इसे पचाना है जरा मुश्किल।
वैसे भी दूध पर पहला हक
पशु के शावक का है ,
जिससे उन्हें वंचित रखा जाता है।

बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर जी ने
शिक्षा को
शेरनी का दूध कहा है।
यदि इस दूध को
शोषित मानस पीये
और स्वयं को
इस योग्य बना ले
कि वह अपना संतुलित विकास कर ले
तो वह अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सचेत होकर
सिंहनाद करने में हो सकता है सक्षम।
वह समर्थ बनकर
देश दुनिया और समाज का
कह सकता है भला।
ऐसा शिक्षा रूपी
शेरनी का दूध पीकर
सब निर्भीक बनें ,
ताकि सभी आत्म सम्मान से जीवनयापन कर सकें,
जीवन रण को
संघर्ष के बलबूते
समस्त वंचित जन जीत सकें।
आओ आज हम सब इस बाबत मंगल कामना करें।
कोई भी शिक्षा से महरूम न रहे।
सब
स्वपोषित साधनों से
सजगता और जागरूकता को फैलाकर ,
शेर सरीखे बनकर
देश , दुनिया और समाज को
सुख , समृद्धि और सम्पन्नता की राह पर ले जाएं ,
जीवन पथ पर किसी को भी हारना न पड़े।
ऐसे लक्ष्य को
हासिल करने के निमित्त
सब एकजुट होकर आगे बढ़ें।
०२/०५/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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