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Apr 30
धीर गंभीर ही
बन सकते हैं युद्धवीर।
युद्ध की उत्तेजना को
जो अपने भीतर जज़्ब कर लेते हैं ,
मन ही मन में
शत्रु से लड़ने की
योजना को गढ़ लेते हैं ,
ऐसे योद्धा युद्धवीर कहलाते हैं।
ऐसे युद्धवीरों को सलाम।
ऐसे रण बांकुरों को
कोटि कोटि प्रणाम।
युद्धवीर धैर्य धारण कर
जीवन रण को लड़ते हैं।
वे अनेक उतार चढ़ावों के बावजूद
अपना डंका बजाते हैं ,
शत्रु की लंका को
अंगद बन कर जलाते हैं।
तुम भी जीवन रण में
युद्धवीर बनो।
भीतर और बाहर के शत्रुओं से
दो दो हाथ करो।
धैर्य और शौर्य के बल पर
शत्रु के मनसूबों को
धराशाई करो ,
चुपके चुपके
शत्रु खेमे में सेंध लगाकर
डर भर दो।
उन्हें गोरिल्ला युद्धनीति से
हक्का बक्का कर दो।
उन्हें अपनी रणनीति से
धूल चटा दो।
30/04/2025.
Written by
Joginder Singh
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