हम जंग के बाद भी देश दुनिया और समाज में टिके रहें । इसलिए अपरिहार्य है हम युद्धाभ्यास के लिए स्वयं को तैयार करें।
यह ठीक है कि युद्ध देश विशेष की सेनाएं लड़ती हैं। उन्हें युद्धाभ्यास करने की जरूरत होती है , परन्तु युद्ध में सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए आम जन बल का उत्साहवर्धन बेहद ज़रूरी है।
युद्ध सीधे तौर पर आपातकाल को न्योता देना है। यह मंहगाई को आमंत्रण देना भी है। आज यह अस्तित्व रक्षा के लिए अपरिहार्य लग रहा है। आओ हम शपथ लें कि हम संयमित रहकर जीवन यापन करेंगे , अपने खर्चे कम करेंगे। इससे जो धनराशि बचेगी , उसे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के हेतु दान करेंगे। यही नहीं , यदि जरूरत पड़ी तो देश की अस्मिता की खातिर स्वयं को कुर्बान करेंगे। हम संकटकाल में कार सेवा करते हुए अपने जीवन को सार्थक करेंगे। हम सर्वस्व के हितार्थ युद्ध स्तर पर सकारात्मक और सार्थक पहल करेंगे। हम युद्धोपरांत स्व राष्ट्र और पर राष्ट्र के कल्याणार्थ नव निर्माण का कार्य करेंगे और युद्ध की भरपाई भी तन ,धन ,मन से करेंगे ताकि जीवन धारा पूर्ववत बह सके। शांति की बयार देश दुनिया में बहे। कोई भी अन्याय सहने को अभिशप्त न रहे। ३०/०४/२०२५.