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Apr 25
मजा
प्यास का तब ही है
जब प्यास लगी हो और पानी
पास न हो !
इसकी तीव्रता
इतनी हो कि बेचैनी
तीव्र से तीव्रतर होती जाए।
आदमी को
वातानुकूलित आबोहवा में
रेगिस्तान का अहसास दिलाए।
काश !
अचानक
कोई सहृदय
पानी लेकर आ जाए ,
बड़े प्यार से पिलाए ,
जीवन की मरूभूमि में
नखलिस्तान के ख़्वाब दिखा जाए।
सच बड़ी शिद्दत की प्यास लगी है ,
शायद कोई साकी जीवन में आ जाए ,
इस बेरहम प्यास से निजात दिला जाए।
यह भी संभावना है कि प्यास को ही बढ़ा जाए।
प्यास को मिराज़ के हवाले कर छूमंतर हो जाए...
...आदमी जीवन की सार्थकता को अनबुझी प्यास की
वज़ह से उड़ती रेत के हवाले होकर दबा दबा सा रह जाए।
२५/०४/२०२५.
Written by
Joginder Singh
40
 
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