बेशक तमाशा देखना सदैव सुखदाई होता है परन्तु कभी कभी तमाशबीन को तमाचा लग जाता है जब कोई शिकार व्यक्ति अपनी जगहंसाई से खफा होकर प्रतिक्रिया वश धुनाई कर देता है। ऐसे में तमाशबीन अपने आप में एक तमाशा बन जाता है , उस पर स्वत: हालात का तमाचा पड़ जाता है। उसका सारा उत्साह ठंडा पड़ जाता है। २५/०४/२०२५.