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Apr 25
बेशक
तमाशा देखना
सदैव सुखदाई होता है
परन्तु कभी कभी
तमाशबीन को
तमाचा लग
जाता है
जब कोई
शिकार व्यक्ति
अपनी जगहंसाई से
खफा होकर
प्रतिक्रिया वश
धुनाई कर देता है।
ऐसे में
तमाशबीन
अपने आप में
एक तमाशा
बन जाता है ,
उस पर स्वत:
हालात का
तमाचा पड़ जाता है।
उसका सारा उत्साह
ठंडा पड़ जाता है।
२५/०४/२०२५.
Written by
Joginder Singh
44
 
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