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3d
लोग सेवानिवृति के
मौके पर
खुशियां मनाते हैं ,
वे पार्टियां देते हैं ,
महफ़िल सजाते हैं।
यह सब बेकार है।
आदमी इस मौके पर
कुछ सार्थक करने की बाबत सोचे।
व्यर्थ ही सोच सोच कर खुद को न नोचे।
अभी कुछ समय पहले
मुझे मिला है
एक दुखद समाचार कि
मेरा एक कॉलेज के दौर का मित्र
सेवानिवृत्ति के कुछेक दिन बाद
गंवा बैठा सेवानिवृत्त
होने के आघात से अपने प्राण।
सोचता हूँ कि
यह सच है
रिटायरमेंट
आदमी को देती है
पहले पहल शोक और धक्का !
काम न होने से
एकाएक निठल्ला होने से
अंतर्मन में मचने लगता है हल्ला गुल्ला !
आदमी रह जाता अकेला
और हक्का बक्का !
इसलिए गुज़ारिश है कि
व्यक्ति सेवानिवृत्ति से पहले ही
अपनी रूचियों पर काम करना शुरू कर दे
ताकि जीवन में कुछ सार्थक करने का जुनून बना रहे ।
आदमी स्वयं को व्यस्त रख सके।
वह अस्त व्यस्त सा न किसी को लगे।
न ही वह थका और चुका बुझा हुआ दिखाई दे।
लगभग मुझे सेवानिवृत्त हुए आठ महीने हो गए हैं ,
मैं अपने को पढ़ने में व्यस्त रखता हूं ,
मन करे तो खुद को भी कला माध्यम से अभिव्यक्त करता हूँ।
मेरे पिता ने भी रिटायरमेंट के बाद
प्राकृतिक चिकित्सा का ज्ञानार्जन करने में खुद को व्यस्त किया था।
उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों को खुद पर लागू किया था
और एक भरपूर जीवन को जीया है।
अतः आप सब से अनुरोध है ,
आप बेशक सक्रिय हैं,
परंतु आप समय रहते सेवानिवृत्ति की बाबत
किसी योजना पर काम कीजिए
ताकि सेवानिवृत्ति का मौका यादगार बने।
शरीर चिंता से न घुले बल्कि जीवन में संतुष्टि मिले।
सेवानिवृत्ति के बाद का जीवन समाजोपयोगी और सार्थक बने।
२२/०४/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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