अहं जरूरी है मगर इतना भी जरूरी नहीं कि वह सही को करने लगे मटिया मेट। अहंकार भरा मन कभी न कभी आदमी को औंधे मुंह गिरा देता है , वह भटकने के लिए कभी भी कर सकता है बाध्य। फिलहाल इसे कर लो साध्य ताकि गंतव्य तक बिना किसी बाधा के पहुंच सको , जीवन धारा के अंग संग बह सको। जीवन में उतार चढ़ाव और कष्टों को चंचल मन के भीतर संयम भर कर सह सको। अहंकार भरे मन पर काबू सहिष्णु बन कर पाया जाता है , सतत प्रयास करते हुए निज को जीवन रण में विजयी बनाया जाता है , जीवन को उत्कृष्टता का संस्पर्श कराया जाता है , इसे सकारात्मक और सार्थक दिशा देकर सुख समृद्धि और सम्पन्नता भरपूर बनाया जा सकता है। अंहकार भरा मन किसी काम का नहीं , बल्कि इसे विनम्रता से जीवन में आगे बढ़ने की दो सीख ताकि यह सके रीत , खुद को खाली कर रख सके स्वयं को ठीक। वरना पतन निश्चित है ! जीवन में भय का आगमन कर ही देगा एक दिन सर्वस्व को असुरक्षित। फिर कैसे रख पाएंगे हम सब संस्कृति व संस्कारों को संरक्षित और संवर्धित? २१/०४/२०२५.