आजकल देश दुनिया में शादी करने से लोग कतरा रहे हैं , वे भगोड़े बन कर जीवन बिताना चाह रहे हैं। फिर भी यदि दाल न गले तो वे शादी से पहले लिव इन को अपनाना चाह रहे हैं। अभी अभी सच को उजागर करता एक कार्टून देखा कि पति यदि काल कवलित हो जाए तो पत्नी , सप्ताह बाद , महीने के बाद ,साल भर बाद भी पति को याद करती रहती है। जबकि पति पत्नी के मरने के बाद सप्ताह भर याद करता है , महीने तक जीवनसाथी तलाश लेता है और साल बाद पहली पत्नी को भूल भाल कर अपनी ही दुनिया में खो जाता है। यह व्यंग्य चित्र देखकर मुझे शाहजहां के आखिरी दिनों का ख्याल आया, जो ताजमहल को देखकर अपनी बेगम मुमताज को याद करते रहे होंगे। शाहजहां के लिए ये दुर्दिन वाले दिन रहे होंगे, मतवातर निहारने वाले दिन रहे होंगे। आजकल लोग जल्दी वफादारियों और सरदारियों को भूल जाते हैं, तभी वे कपड़े बदलने जैसी मानसिकता के साथ जी पाते हैं , वफादारियों और कसमें वायदे दरकिनार कर जाते हैं। आज स्त्री और पुरुष पिक, यूज एंड थ्रो कल्चर में खोते जा रहे हैं , अपने खोटेपन को लग्जरी सॉप की खुशबू में धोते जा रहे हैं ताकि किसी को कुटिलता की भनक न लगे , फास्ट लाइफ और लाइफ स्टाइल की चमक दमक बनी रहे। बस जीवन की गाड़ी किसी तरह आगे बढ़ती रहे। १५/०४/२०२५.