आज का आदमी अपने साथ डर का पिटारा लेकर चलता है। गफलतों ने असंख्य डर आदमी के मन की उर्वर जमीन पर बो दिए हैं , जिनकी फसल वह समय समय पर लेता रहा है। सवाल है कि आज आदमी का सबसे बड़ा डर क्या है ? यह डर असमय किसी के द्वारा वजूद पर एक सवालिया निशान लगाना है , बाकी डर ..... मौत , मुफलिसी ,तंगी तुरशी , मान सम्मान का अभाव तो महज़ बहाने हैं,,, जिनके साथ जीना आजकल ज़रूरी है , यह बन गई मज़बूरी है, जिसने निर्मित कर दी हम सब के बीच दूरी है। यही सबसे बड़ा डर होना चाहिए। इस बाबत सभी को कुछ करना चाहिए। १४/०४/२०२५.