बहुधा जिनसे कभी मिलने की संभावना तक नहीं होती वे अचानक जीवन में आकर आकर्षण का केंद्र बनकर जीवन को हर्षोल्लास से भर जाते हैं। इसलिए हमें जीवन धारा में आ गए उतार चढ़ाव से कभी भी व्यथित होने की जरूरत नहीं है। हमारे इर्द गिर्द बहुत कुछ घटित हो रहा है। यह संयोग ही है कि हम इस घटनाक्रम की बाबत चिंतन मनन कर पा रहे हैं। संयोग वश हम मिलते और बिछुड़ते हैं , चाहकर भी हम अपनी मनमर्जी नहीं कर पा रहे हैं। यह सब क्या है ? क्या हम सब का मनुष्य होना और कुछ का पशु होना संयोग नहीं ? या फिर कर्मों का खेल है ! संयोग वश ही हम परस्पर संवाद रचा पाते हैं , एक दूसरे को समझ और समझा पाते हैं , फलत: समझौता कर जाते हैं। आपदा प्रबंधन कर अनमोल जीवन की रक्षा करने में सफल हो जाते हैं। सब जगह संयोग वश जीवन में अदृश्य रूप से घटनाक्रम घट रहा है, जिससे सतत् कथाएं बन और मिट रही हैं । यही जीवन को दर्शनीय बनाता है। १४/०४/२०२५.