जीवन में कभी कभी चल ही जाता है तीर तुक्का ! आदमी हो जाता है अचंभित और हक्का बक्का !! ऐसा होता है प्रतीत कि आदमी ने जीवन में मैदान मार लिया हो। शत्रु को बस खेल खेल में कर दिया हो चित्त। पर पता नहीं था जीतने से पहले कब होना पड़ जाएगा चारों खाने चित्त ? १२/०४/२०२५.