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Apr 12
हार मिलने पर
उदास होना स्वाभाविक है।
यह कभी कभी
जख्मों को
हरा कर देती है।
यह मन में
पीड़ा भी पैदा करती है ,
जिससे बेचैनी देर तक बनी रहती है।
मन के कैनवास पर
अपनी हार को
किस रंग में
अभिव्यक्त करूं ?
इस बाबत जब भी सोचता हूँ ,
ठिठक कर रह जाता हूँ।
क्या हार का रंग
बदरंग होता है ,
जो कभी मातमी माहौल का
अहसास कराता है ,
तो कभी मिट्टी रंगी तितलियों में
बदल जाता है ,
भीतर मंडराता रहता है।
कभी कभी
हार को उपहार देने का मन करता है,
अपनी हरेक हार के बाद
आत्म साक्षात्कार की खातिर
भीतर उतरता हूँ ,
अपने परों की मजबूती को
तोलता हूँ
ताकि फिर से
जीवन संघर्ष कर सकूं
हार के बदरंग के बाद
तितली के रंगों को
मन के कैनवास पर उतार सकूँ !
हार ,जीत , हास परिहास , आम और ख़ास का
कोलाज निर्मित कर सकूँ ,
उस पर एक कल्पना का संसार उतार सकूँ।
क्या सभी के पास
हार का रंग बदरंग होता है या फिर अलग अलग !
जो करता रहा है  आदमी की कल्पना को वास्तविकता से अलग थलग !!
१२/०४/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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