मैं जिस कमरे में बैठा हूँ, वहाँ प्लास्टिक से बना बहुत सा सामान पड़ा है ।
इस का प्रयोग किसी हद तक कम किया जा सकता है , पर इसे बिल्कुल बंद नहीं किया जा सकता। प्लास्टिक का बदल हमें ढूंढना होगा , वरना वातावरण तबाही की ओर बढ़ता नज़र आएगा , आदमी परेशानी और संकट से घिरा देखा जाएगा। हम इसका प्रयोग कम से कम करें। इसके विकल्पों पर काम करना समय रहते शुरू करें। सब से पहले जूट और पटसन के बैग्स खरीदें और अपना खरीदा सामान उसमें रखें। कम से कम ये बैग्स कई बार प्रयुक्त हो सकते हैं, हम प्लास्टिक के खिलाफ़ बिगुल बजाने का आगाज कर आगे बढ़ सकते हैं , अपनी इस छोटी सी कमज़ोरी पर जीत प्राप्त कर सकते हैं।
प्लास्टिक के लिफाफों और दूसरी सामग्री से सड़क निर्मित करने की शुरुआत कर सकते हैं। इस सड़क पर आगे बढ़ कर प्लास्टिक रहित जीवन की बाबत सोच सकते हैं। अच्छा रहे हमारे उद्योग प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं का उत्पादन कम से कम करें। इन की जगह अन्य धातुओं से निर्मित पदार्थों का प्रचलन बढ़ाएं ताकि हम प्लास्टिक प्रदूषण से बचा पाएं। इसके साथ साथ ही हम जरूरत भर पदार्थों का उत्पादन करें। आवश्यकता से अधिक औद्योगिक उत्पादन भी प्रदूषण बढ़ाता है , इस बाबत भौतिकवादी समाज क्या कभी रोक लगा पाता है ? मुझे याद है पहले घर में दूध कांच की बॉटल्स में आता था और अब पॉलिथीन निर्मित पैकेट्स में, यही नहीं लस्सी,दही ,और बहुत सी खाद्य पदार्थ भी प्लास्टिक और पॉलिथीन निर्मित पैकेट्स में पैक होकर आते हैं , जो शहर और गांवों को प्रदूषित करते नजर आते हैं । लोग भी लापरवाही से इन्हें इधर उधर फेंकते दिख पड़ते हैं। क्यों न इन पर भी कानून का डंडा पड़े ? कम से कम चालान तो प्रदूषण फैलाने वाले का कटे। आदमी के भीतर तक अनुशासन होने की आदत बने ताकि वह प्रदूषित जीवनचर्या के पाप का भागी न बने। वह दाग़ी न लगे। मैं जिस कमरे में बैठा हूँ , वहाँ प्लास्टिक से निर्मित बहुत सा सामान पड़ा है, जिसे टाला जा सकता था। क्यों न हम लकड़ीऔर लोहे आदि से बने सामान का प्रयोग बढ़ाए, ताकि कुछ हद तक अपने शहरों, कस्बों,गांवों आदि को प्लास्टिक के प्रदूषण से मुक्त रख सकें ! समय धारा के संग आगे बढ़ कर सार्थकता वर सकें !! १०/०४/२०२५.