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Apr 6
इस धरा पर
जीवन धारा का
बह निकलना
अपने आप में
लगता है एक करिश्मा।
मैं भी कभी
चमत्कार में
विश्वास नहीं करता था,
मुझे कार्य कारण संबंध खोजना,
और फिर इस सब की बाबत
अपनी धारणा बनाना अच्छा लगता है।
पिछले कुछ अर्से से
देश दुनिया में
असंभव प्रायः को
जीवन में घटित होते देखता हूँ
तो लगता है ,
कहीं निकट ही
चमत्कार घट रहा है,
जो न केवल विस्मित कर रहा है,
बल्कि सोच को भी बदल रहा है,
जिससे सब कुछ बदलाव की ओर बढ़ता लग रहा है।
जीवन यात्रा में चमत्कार घटित होता महसूस हो रहा है।
असंभव का संभावना में बदल कर
दृश्यमान होना चमत्कार ही तो है
जो बुद्धि पर पड़े पर्दे को हटाकर
कभी कभी  परम की जादुई उपस्थिति का
अहसास करा देता है।
चेतना को जगा देता है।
आदमी की सुप्त चेतना का
अचानक अनुभूति बनकर
अपनी प्रतीति कराना
एक चमत्कार से कम नहीं ,
जो आदमी को रख पाता है संतुलित और सही।
जीवन और मरण के घटनाक्रम का
सतत अस्तित्वमान होना ,
आदमी का दुरूह परिस्थितियों में
जिजीविषा के बूते बचे रहना
किसी चमत्कार से कम नहीं।
अनास्था के विप्लव कारी दौर में
आस्था का बना रहना भी
किसी करिश्मे से कम नहीं है जी ,
जो जीवन में जिजीविषा का आभास कराता है,
मृत प्रायः को जीवन देने का चमत्कार कर जाता है।
०६/०४/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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