हाज़िरजवाब प्रतिस्पर्धी किसी खुशकिस्मत को नसीब होता है , वरना ढीला ढाला प्रतिद्वंद्वी आदमी को लापरवाह बना देता है , आगे बढ़ने की दौड़ में रोड़े अटकाकर भटका देता है , चुपके चुपके से थका देता है। वह किसी को न ही मिले तो अच्छा , ताकि जीवन में कोई दे कर गच्चा कर न सके दोराहे और चौराहे पर कभी हक्का बक्का। अच्छा और सच्चा प्रतिद्वंद्वी बनने के लिए आदमी सतत प्रयास करता रहे , वह न केवल अथक परिश्रम करे , बल्कि समय समय पर समझौता करने के निमित्त खुद को तैयार करता रहे। संयम से काम करना प्रतिस्पर्धी का गुण है , और विरोधी को अपने मन मुताबिक व्यवहार करने को बाध्य करना कूटनीतिक सफलता है।
प्रतिस्पर्धा में कोई हारता और जीतता नहीं, मन में कोई वैर भाव रखना, यह किसी को शोभा देता नहीं। प्रतिद्वंद्विता की होड़ में यह कतई सही नहीं। आदमी जीवन पथ की राह में मिले अनुभवों के आधार पर स्वयं को परखे तो सही , तभी प्रतिभा के समन्वय से प्रतिस्पर्धा में टिका जाता है , जीवन के उतार चढ़ावों के बीच प्रगति को गंतव्य तक पहुंचाया जाता है। ०४/०४/२०२५.