वह कितना चतुर हैं! झटपट झूठ परोस कर बात का रुख बदल देता है , जड़ से समस्या को खत्म करता है। यह अलग बात है कि झूठ को छिपाने की एक और समस्या को दे देता है जन्म ! जो भीतर की ऊर्जा को करती रहती है धीरे धीरे कम ! किरदार को कमजोर करती हुई , आदमी को अंदर तक इस हद तक निर्मोही करती हुई कि उसका वश चले तो हरेक विरोधी को जीते जी एक शव में कर दे तब्दील ! उसे झंड़े की तरह लहरा दे ! उसे एक कंदील में बदल झूठे सच्चे के स्वागतार्थ तोरण बना लटका दे ! झूठा आदमी ख़तरनाक होता है। वह हर पल सच्चे के कत्ल का गवाह बनने के इरादे में मसरूफ रहता है और दिन रात न केवल साजिशें रचता है बल्कि मतवातर गड़बड़ियां करता है, ताकि वह हड़बड़ी फैला सके , मौका मिलने पर हर सच्चे और पक्के को धमका सके , मिट्टी में मिला सके।