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Apr 4
वह कितना चतुर हैं!
झटपट झूठ
परोस कर
बात का रुख
बदल देता है ,
जड़ से समस्या को
खत्म करता है।
यह अलग बात है कि
झूठ को छिपाने की
एक और समस्या को
दे देता है
जन्म !
जो भीतर की
ऊर्जा को करती रहती है
धीरे धीरे कम !
किरदार को
कमजोर करती हुई ,
आदमी को
अंदर तक
इस हद तक
निर्मोही करती हुई
कि उसका वश चले
तो हरेक विरोधी को
जीते जी एक शव में
कर दे तब्दील !
उसे झंड़े की तरह लहरा दे !
उसे एक कंदील में बदल
झूठे सच्चे के स्वागतार्थ
तोरण बना लटका दे !
झूठा आदमी ख़तरनाक होता है।
वह हर पल सच्चे के कत्ल का गवाह
बनने के इरादे में मसरूफ रहता है
और दिन रात
न केवल साजिशें रचता है
बल्कि मतवातर
गड़बड़ियां करता है,
ताकि वह हड़बड़ी फैला सके ,
मौका मिलने पर
हर सच्चे और पक्के को
धमका सके ,
मिट्टी में मिला सके।

०४/०४/२०२५.
Written by
Joginder Singh
33
 
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