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Mar 27
ज़िन्दगी के सफ़र में
बहुत से
उतार चढ़ाव आना
अनिवार्य है ,
पर क्या तुम्हें
ज़िन्दगी के सफ़र में
रपटीली सड़क पर
गड्ढे स्वीकार्य हैं ?
जो बाधित कर दें
तुम्हारी स्वाभाविक गति,
जीवन में होने वाली प्रगति।
अभी अभी
एक स्वाभिमानी
आटो चालक
कुशलनगर के
गुलज़ार बेग की बाबत पढ़ा है ,
जिन्होंने
प्रशासन के अधिकारियों से
सड़क सुरक्षा को
ध्यान में रखकर की थीं
शिकायतें कि
भर दो
क़दम क़दम पर
आने वाले सड़क के गड्ढे
ताकि अप्रत्याशित दुर्घटनाग्रस्त होने से
बचा जा सके।
परन्तु प्रशासन उदासीन बना रहा ,
उसने अपना अड़ियल रवैया न छोड़ा।
बल्कि फंड की कमी को
गड्ढे न भर सकने की वजह बताया।
इस पर
उन्होंने ठान लिया कि
अब वे कोई शिकायत नहीं करेंगे,
वह स्वयं ही सड़क के गड्ढे भरेंगे।
उस दिन से लेकर आज तक
अकेले अपने दम पर
उन्होंने साठ हजार से अधिक
सड़क के गड्ढे भर कर
जीवन को सुरक्षित किया है।
वह जिजीविषा की
बन गए हैं एक अद्भुत मिसाल।
अभी अभी पढ़ा है कि
गुलज़ार बेग साहब
रीयल लाइफ हीरो हैं।
सोचता हूं कि
यदि हमने उनसे कोई सीख न ली
तो हम सब जीरो हैं ,
आओ हम सार्थक जीवन वरें,
लोग क्या कहेंगे ?,
जैसी क्षुद्रता को नकारते हुए
जीवन पथ पर अग्रसर होने की ओर बढ़ें।
हम अपने भीतर की आवाज़ को सुनें।
उसके अनुसार कर्म करते हुए
अपने और आसपास के जीवन को सार्थक करें।
२७/०३/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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