संसार में कौन भला और कौन बुरा ? यहाँ जीवन का ताना बाना, संघर्षों के इर्द गिर्द है गया बुना। इस जीवन में पल पल जन्म मरण का सिलसिला है चलता आया। यहाँ कोई अपना नहीं,न ही पराया ! जीवन के संघर्षों में बना रहना चाहिए हमसाया! जिसकी सोहबत से और मतवातर सहयोग से आदमी जीवनधारा को चलायमान कर पाया। जीवन का ताना बाना बड़ा अलबेला है , यहाँ हार जीत,सुख दुःख भरे क्षण आते और जाते रहते हैं ! जीवन के रंगमंच पर सब सब अपनी भूमिका निभाते हैं, सब अपने समय में आगमन और प्रस्थान का खेल,खेल समय के समन्दर में खो जाते हैं ! काल के गाल में समा जाते हैं !! अनंत काल से यह सिलसिला है चल रहा ! जीवन मरण का खेल जादुई सम्मोहन से लिपटा जीवन का ताना बना बुन रहा। इस डगर पर हर कोई मतवातर चलकर जन्म दर जनम स्वयं को परिमार्जित कर रहा। २५/०३/२०२५.