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Mar 22
यदि आपके मन में भरा हो गुब्बार,
व्यवस्था को लेकर
तो बग़ैर देरी किए
तंज़ कसने शुरू करो
सब पर
बिना कोई संकोच किए !
मगर ध्यान रहे।
जो भी तंज़ कसो,
जिस पर भी तंज़ कसो,
पूरे रंग में आकर
दिल से कसो !
ताकि मन में बस चुके गुब्बार
तनाव की वज़ह न बनें
और कहीं
अच्छाइयों की बाबत भी
नहीं ,नहीं ,कहते कहते,
और करते करते,
कुंठा के बोझ को सहते सहते,
अहंकार का गुब्बारा फट कर
सब कुछ को नेस्तनाबूद न कर दे,
समस्त प्रगति और विकास को
सिरे से बर्बाद न कर दे,
इसलिए तंज़ कसना ज़रूरी है,
यह गरीब गुरबे मानस की मज़बूरी है।
अतः तंज़ जी भर कर कसो,
अपने भीतर के तनावों को समय रहते हरो।
यही जीवन की बेहतरी के लिए मुफीद रहेगा।
कौन यहां अजनबियत से भरी पूरी दुनिया में घुटन सहे ?
क्यों न खुल कर, सब यहां ,तंज़ कसते हुए, जीवन यात्रा पूरी करें ?
२३/०३/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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