Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Mar 22
पत्नी
यदि अच्छी है
तो जोरू का गुलाम
बनने और कहलाने में
काहे का हर्ज़ है,
यह तो डरपोक और कुटिल
इंसानों के भीतर पैदा हुआ मर्ज़ है,
इस रोग से
जितना जल्दी बचा जाए,
उतना अच्छा है!
पत्नी सेवा करना
हर बहादुर पति का फ़र्ज़ है।
यह समझ
सुलझे इंसानों के धुर भीतर दर्ज़ है।
सचमुच जोरू का गुलाम
शांति प्रिय होता है,
बेशक
वह दोस्तों की
आँखों में
हरदम खटकता है।
वह आसानी से कहाँ भटकता है ?
उसका मन
पत्नी सेवा में ही
जो
अटकता है।
ख़ुशी ख़ुशी
जोरू का गुलाम बनिए ,
जीवन में खुशियों को वरिए।
22/03/2025.
Written by
Joginder Singh
  68
 
Please log in to view and add comments on poems