पिता पुत्र में होता है हमेशा प्यार और अगाध विश्वास ! कभी कभी इस हद तक कि दोनों लगते एक साथ ले रहे हैं श्वास ! पिता पुत्र के बीच कभी कभी होता है विवाद ! लेकिन थोड़ी देर में वे मतभेद भुला कर जीवन यात्रा की बाबत स्थापित कर लेते संवाद !
अभी अभी मेरे पिता ने मुझे एक बिस्किट दिया , जिसे मैंने लेने से मना किया। वज़ह बस यही कि आज मेरा व्रत है , मैने उन्हें याद दिलाया कि...! वे सब समझ गए कि...! ... मैं एक बार अन्न ग्रहण कर चुका हूँ , बेशक ! मैं आज्ञा पालन में अभी चुका नहीं हूँ ! जीवन में कुछ सिद्धांतों से निज को बांधना भी व्रत होता है! पिता और पुत्र का रिश्ता नेह और स्नेह के बंधनों से बंधा है , जिससे से जीवन का सन्मार्ग साधे सधा है , पिता पुत्र का पवित्र रिश्ता बना है।
सोचिए ज़रा , उन के बीच होता है कितना प्यार ? उन्हें एक दूसरे का हित जीने का आधार लगता है। इस सूत्र से बंधा उनका जीवन धीरे धीरे मान मनव्वल के संग बढ़ता है। 17/03/2025.