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Mar 17
पिता पुत्र में
होता है
हमेशा प्यार
और अगाध विश्वास !
कभी कभी
इस हद तक
कि दोनों लगते
एक साथ ले रहे हैं श्वास !
पिता पुत्र के बीच
कभी कभी
होता  है विवाद !
लेकिन थोड़ी देर में
वे मतभेद भुला कर
जीवन यात्रा की बाबत
स्थापित कर लेते संवाद !

अभी अभी
मेरे पिता ने
मुझे एक बिस्किट दिया ,
जिसे मैंने लेने से मना किया।
वज़ह बस यही कि
आज मेरा व्रत है ,
मैने उन्हें याद दिलाया कि...!
वे सब समझ गए कि...!
... मैं एक बार अन्न ग्रहण कर चुका हूँ ,
बेशक ! मैं आज्ञा पालन में अभी चुका नहीं हूँ !
जीवन में कुछ सिद्धांतों से
निज को बांधना भी व्रत होता है!
पिता और पुत्र का रिश्ता
नेह और स्नेह के बंधनों से बंधा है ,
जिससे से जीवन का सन्मार्ग साधे सधा है ,
पिता पुत्र का पवित्र रिश्ता बना है।

सोचिए ज़रा ,
उन के बीच होता है
कितना प्यार ?
उन्हें एक दूसरे का हित
जीने का आधार लगता है।
इस सूत्र से बंधा उनका जीवन
धीरे धीरे मान मनव्वल के संग बढ़ता है।
17/03/2025.
Written by
Joginder Singh
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