इस बार होली पर खूब हुड़दंग हुआ , पर मैं सोया रहा अपने आप में खोया रहा। कोई कुछ नया घटा , आशंका का कोई बादल फटा! यह सब सोच बाद दोपहर टी.वी.पर समाचार देखे सुने तो मन में इत्मीनान था , देश होली और जुम्मे के दिन शांत रहा। होली रंगों का त्योहार है , इसे सब प्रेमपूर्वक मनाएं। किसी की बातों में आकर नफ़रत और वैमनस्य को न फैलाएं।
बालकनी से बाहर निकल कर देखा। प्रणव का मोटर साइकिल रंगों से नहाया था। उस पर हुड़दंगियों ने खूब अबीर गुलाल उड़ाया था।
इधर उमर बढ़ने के साथ रंगों से होली खेलने से करता हूँ परहेज़। घर पर गुजिया के साथ शरबत का आनंद लिया। इधर हुड़दंगियों की टोली उत्साह और जोश दिखलाती निकल गई।
दो घंटे के बाद प्रणव होली खेल कर घर आया था। उसके चेहरे और बदन पर रंगों का हर्षोल्लास छाया था। जैसे ही वह खुद को रंगविहीन कर बाथरूम से बाहर आया, उसकी पुरानी मित्र मंडली ने उसे रंगों से कर दिया था सराबोर।
मैं यह सब देख कर अच्छा महसूस कर रहा था। मन ही मन मैंने सौगंध खाई ,अगली होली पर मैं कुछ अनूठे ढंग से होली मनाऊंगा। कम से कम सोए रहकर समय नहीं गवाऊंगा। कैनवास पर अपने जीवन की स्मृतियों को संजोकर एक अद्भुत अनोखा अनूठा कोलाज बनाने का प्रयास करूंगा।
और हाँ, रंग पंचमी से एक दिन पूर्व होलिका दहन पर एक संगीत समारोह का आयोजन घर के बाहर करवाऊंगा। उसमें समस्त मोहल्ला वासियों को आमंत्रित करूंगा। उनके उतार चढ़ावों भरे जीवन में खुशियों के रंग भरूंगा। १७/०३/२०२५.