छोटी और लाडली कार को होली का कोई हुड़दंगी चोट पहुँचा गया जब अचानक, दर्द से बेहाल अंदर से आवाज़ आई तब, "होली मुबारक !" मन में उस समय क्रोध उत्पन्न हुआ , मैं थोड़ा सा खिन्न हुआ ! मैंने खुद से कहा , " कमबख्त पाँच हज़ार की चपत लगा गया ! होली के दिन मन के भीतर सुख सुविधा से उत्पन्न अहंकार की वाट लगा गया !" मेरी तो होली हो ली जी! अब सी सी कर के क्या मिलेगा जी! यह सोच मन को समझा लिया और पल भर में दुनियादारी में मन लगा लिया। १४/०३/२०२५.