आदमी जब तक नासमझ बना रहता है , छोटी छोटी बातों पर अड़ा रहता है । जैसे ही वह समझता है जीवन का सच , वह एक सुरक्षा कवच में सिमट जाता है , जिंदगी में समय रहते समझौता करना सीख जाता है , सुखी और सुरक्षित रहता है। भूल कर भी बात बात पर अकड़ दिखाने से करता है गुरेज। वह जीवन की समझ निरंतर बढ़ाता रहता है। एक समय आता है , वह समझौता बेहद आसानी से कर पाता है , वह बिना कोई हेर फेर किए स्वयं को संतुलित और समायोजित कर लेता है , शांत रहना सीख जाता है , दिल और दिमाग से समझौताबाज़ बन जाता है। वह किसी भी हद तक सहनशील बना रहता है , फल स्वरूप जीवन भर फलता फूलता जाता है , समझौता करने में गनीमत समझता है। अतः सुख का आकांक्षी जीवन में समझौता कर ले , समय रहते समझदारी वर ले। यह सच है कि यदि वह समय पर समझौता कर ले , तो स्वत: स्वयं को सुखी कर ले। १४/०३/२०२५.