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Mar 13
आज किसान बेचारा नज़र आता है।
वह शोषण का शिकार बनाया जा रहा है।
ऐसा क्यों ? सोचिए , इस बाबत कुछ करिए ज़रा।
किसान कब तक बना रहेगा बेचारा और बेसहारा ?

उसकी मदद कैसे हो ?
उसकी लाचारी कैसे दूर हो ?
यदि उस की उपज खेत से
सीधे बाज़ार भाव पर खरीद ली जाए ?
और थोड़ा खर्चा करके उपभोक्ता से वसूल ली जाए
तो क्या हो ?
कम से कम किसान इससे सुखी रहेगा।
उपभोक्ता अपने द्वारा की गई
अनावश्यक भोजन की बर्बादी को रोक ले ,
तो यकीनन देश की आर्थिकता दृढ़ होगी।
किसान की चिंताएं धीरे धीरे खत्म होंगी।
इसके साथ ही भ्रष्टाचार में भी शनै: शनै: कमी होगी।
किसान की मदद
उपभोक्ता की सदाशयता से
बिना किसी तनाव ,दुराव ,छिपाव के की जा सकती है।
इस राह पर बढ़ कर ही किसान और समाज की तक़दीर
बदली जा सकती है।
संपन्नता,सुख , समृद्धि और सुविधाएं
बगैर किसी देरी किए खोजी जा सकती हैं।
१३/०३/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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