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Mar 13
सच है
आजकल
हर कोई
कर्ज़ के जाल में
फँस कर छटपटा रहा है ,
वह इस अनचाहे
जी के जंजाल से
बच नहीं पा रहा है।

दिखावे के कारण
कर्ज़ के मर्ज में जकड़े जाना,
किसी अदृश्य दैत्य के हाथों से
छूट न पाना करता है विचलित।
कभी कभी
आदमी
असमय
अपनी जीवन लीला
कर लेता है
समाप्त ,
घर भर में
दुःख जाता है
व्याप्त।
आत्महत्या है पाप ,
यह फैलाता है समाज में संताप।
सोचिए , इससे कैसे बचा जाए ?
क्यों न मन पर पूर्णतः काबू पाया जाए ?
दिखावा भूल कर भी न किया जाए ।
जिन्दगी को सादगी से ही जीया जाए।
कर्ज़ लेकर घी पीने और मौज करने से बचा जाए।
क्यों बैठे बिठाए ख़ुद को छला जाए ?
क्यों न मेहनत की राह से जीवन को साधन सम्पन्न किया जाए ?
कर्ज़ के मर्ज़ से
जहां तक संभव हो , बचा जाए !
महत्वाकांक्षाओं के चंगुल में न ही फंसा जाए !
कर्ज़ के पहाड़ के नीचे दबने से पीछे हटा जाए !!
कम खाकर गुजारा बेशक कर लीजिए।
हर हाल में कर्ज़ लेने से बचना सीखिए।
१३/०३/२०२५.
Written by
Joginder Singh
37
 
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