सच है आजकल हर कोई कर्ज़ के जाल में फँस कर छटपटा रहा है , वह इस अनचाहे जी के जंजाल से बच नहीं पा रहा है।
दिखावे के कारण कर्ज़ के मर्ज में जकड़े जाना, किसी अदृश्य दैत्य के हाथों से छूट न पाना करता है विचलित। कभी कभी आदमी असमय अपनी जीवन लीला कर लेता है समाप्त , घर भर में दुःख जाता है व्याप्त। आत्महत्या है पाप , यह फैलाता है समाज में संताप। सोचिए , इससे कैसे बचा जाए ? क्यों न मन पर पूर्णतः काबू पाया जाए ? दिखावा भूल कर भी न किया जाए । जिन्दगी को सादगी से ही जीया जाए। कर्ज़ लेकर घी पीने और मौज करने से बचा जाए। क्यों बैठे बिठाए ख़ुद को छला जाए ? क्यों न मेहनत की राह से जीवन को साधन सम्पन्न किया जाए ? कर्ज़ के मर्ज़ से जहां तक संभव हो , बचा जाए ! महत्वाकांक्षाओं के चंगुल में न ही फंसा जाए ! कर्ज़ के पहाड़ के नीचे दबने से पीछे हटा जाए !! कम खाकर गुजारा बेशक कर लीजिए। हर हाल में कर्ज़ लेने से बचना सीखिए। १३/०३/२०२५.