कभी कभी कैलेंडर को मज़ाक करने का मौका हो जाता है मयस्सर। आदमी की गलती बन जाया करती है कैलेंडर के मज़ाक करने का सबब। आज शनिवार को मुझे एकादशी का व्रत पिछले महीने की तिथि के अनुसार आधे दिन तक रखना पड़ा। यह तो अचानक श्रीमती ने फोन पर एकादशी के सोमवार को होने की बाबत बताया। मैं जब घर आया तो दीवार पर टंगे कैलेंडर पर फरवरी के महीने वाला पृष्ठ नजर आया, जबकि महीना मार्च का चल रहा था। आज आठ मार्च है , अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस। मैं महीने के ख़त्म होने पर भी अगले महीने को इंगित करने वाला पृष्ठ पलट नहीं पाया था। फलत: कैलेंडर को मज़ाक करने का मिल गया था अवसर और मैं एकादशी होने के भ्रम का शिकार। घर पर सभी सदस्यों ने कैलेंडर के संग मुझे हँसी मज़ाक का पात्र बनाया था। मैं सचमुच खिसिया गया था। ०८/०३/२०२५.