चारों ओर बुराइयों को देख व्यर्थ की बहसबाजी में उलझने से अच्छा है कि कोई पहल की जाए , सोच समझ कर बुराई के हर पहलू को जाना जाए , और तत्पश्चात उसे दूर करने के प्रयास किए जाएं। बुरे को बुरा , अच्छे को अच्छा कहने में कोई हर्ज़ नहीं , बस सब अपने फ़र्ज़ समझें तो सही। फ़र्ज़ पर टिके रहना वाला , कथनी और करनी का अंतर मिटाने वाला अक्सर जीवन के कठिन हालातों से जूझ पाता है। वह जीवन के उतार चढ़ावों के बावजूद सकारात्मक सोच के साथ पहल कर पाता है। वह जीवन की भाग दौड़ में विजेता बनकर नए बदलाव लेकर आता है। अपनी अनूठी पहल के बूते पहले स्थान को हासिल कर जाता है। वह जीवन के संघर्षों में अग्रणी होकर अपनी पहचान बना जाता है। पहले पहले पहल करने वाला जीवन के सत्य को जान लेने से बौद्धिक रूप से प्रखर बन जाता है। वह स्वतः मान सम्मान का अधिकारी बन जाता है। वह जन जीवन से खुद को जोड़ जाता है। वह हरदम अपने पर भरोसा करके अपनी उपस्थिति का अहसास करवाता रहता है। पहल करने वाला प्रखर होता है , वह अपनी संभावना खोजने के लिए सदैव तत्पर रहता है। ०५/०३/२०२५.