जब पहले पहल नौकरी लगी थी तब तनख्वाह कम थी पर बरकत ज़्यादा थी। अब आमदनी भी पहले की निस्बत ज़्यादा, पर बरकत बहुत ही कम! कल थरमस खरीदी, दाम दिए हजार रुपए से थोड़े से कम ! पहली नौकरी में महीना भर काम करने के उपरांत मिले थे पगार में लगभग नौ सौ रुपए। मैं बहुत खुश था ! कल मैं सन्न रह गया था ! निस्संदेह महंगाई के साथ साथ संपन्नता भी बढ़ी है। पर इस नक चढ़ी महंगाई ने समय बीतते बीतते अपने तेवर दिखाए हैं! कम आय वर्ग को ख़ून के आँसू रुलाए हैं ! बहुत से मेहनतकश बेरहम महंगाई ने जी भर कर सताए हैं !! आओ कुछ ऐसा करें! सभी इस बढ़ती महंगाई का सामना अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करते हुए करें। सब ख़ुशी ख़ुशी नौकरी और काम धंधा करें, वे इस बढ़ती महंगाई को विकास का नतीजा समझें , इससे कतई न डरें ! वे महंगाई के साथ साथ जीवन संघर्ष में जुटे रहें !! ०३/०३/२०२५.