भोजन भट्ट खा गया चटपटे खाद्य पदार्थ ! ले ले कर स्वाद झटपट ! अब ले रहा है नींद में झूट्टे और थोड़ी थोड़ी देर के बाद बदल रहा है करवट, रेल सफर के दौरान। चेहरा उसका बता रहा वह ज़िन्दगी के सफर में भी है संतुष्ट ! आदमी जिसे भोजन से मिल जाए परम संतुष्टि ! हे ईश्वर! ऐसे देव तुल्य पुरुष पर बनाए रखना सर्वदा सर्वदा अपनी कृपा दृष्टि ! देश दुनिया के बाशिंदों को दिलाते रहना हमेशा खाद्य संतुष्टि ! हम जैसे प्राणी भी श्रद्धापूर्वक करते रहें ईश्वरीय चेतना की स्तुति ताकि सभी संतुष्ट जन जीवन यात्रा के दौरान अनुभूत कर सकें दिव्यता से परिपूर्ण अनुभूति ! वे खोज सकें मार्ग दर्शक विभूति !! २७/०२/२०२५.