आदमी अपने इर्द गिर्द के घटना चक्र को जानने के निमित्त कभी कभी हो जाता है व्यग्र और बेचैन। भूल जाता है सुख चैन। हर पल इधर उधर न जाने किधर किधर भटकते रहते नैन। यदि वह स्वयं की अंतर्निहित संभावनाओं को जान ले , उसका जीवन नया मोड़ ले ले। आदमी बस सब कुछ भटकना छोड़ कर खुद को जानने का प्रयास करे ! ताकि जीवन में सकारात्मक घटनाक्रम उजास बन कर पथ प्रदर्शित कर सके ! मन के भीतर से अंधेरा छंट सके!! २५/०२/२०२५.