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Feb 25
आदमी
अपने इर्द गिर्द के
घटना चक्र को
जानने के निमित्त
कभी कभी
हो जाता है व्यग्र और बेचैन।
भूल जाता है
सुख चैन।
हर पल इधर उधर
न जाने किधर किधर
भटकते रहते नैन।
यदि वह स्वयं की
अंतर्निहित
संभावनाओं को
जान ले ,
उसका जीवन
नया मोड़ ले ले।
आदमी
बस
सब कुछ भटकना छोड़ कर
खुद को जानने का
प्रयास करे !
ताकि जीवन में
सकारात्मक घटनाक्रम
उजास बन कर
पथ प्रदर्शित कर सके !
मन के भीतर से
अंधेरा छंट सके!!
२५/०२/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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