हरेक की चाहत है कि उसके जीवन में कभी न रहे कोई कमी। उसे मयस्सर हों सभी सुख सुविधाएं कभी न कभी। लेकिन जीवन यात्रा में शराब की लत आदत में शुमार हो जाती है, तब यह एक श्राप सी होकर जोंक की तरह आदमी का खून पीने के निमित्त उसके वजूद से लिपट जाती है।
यही नहीं कभी कभी शबाब भी उसकी चेतना से लिपट जाता है, उसे अपनी खूबसूरती पर अभिमान हो जाता है, उसे अपने सिवा कोई दूसरा नज़र नहीं आता है, वह औरों के वजूद को कभी न कभी नकारने लग जाता है, आदमी की अकाल पर पर्दा पड़ जाता है। उसे हरपल मदिरा से भी अधिक नशीला नशा भाता है, वह शानोशौकत और आडंबर में निरन्तर डूबता जाता है। इस दौर में आदमी का सौभाग्य हरपल हरक़दम उसे विशिष्टता का अहसास कराता है, वह एक मायाजाल में फंसता चला जाता है।
शराब और शबाब जिन्दगी का सत्य नहीं ! इस जैसा भ्रम झूठ में भी नहीं !! इस दौर के आदमी का सच यह है कि आज जीवन में सच और झूठ मायावी संसार को लपेटे झीने झीने पर्दे हैं जिनसे हमारे जीवनानुभव जुड़े हैं। हम सब दुनिया के मायावी बाज़ार में लोभ और संपन्नता के आकर्षणों से बंधे हुए निरीह अवस्था में खड़े हैं। कभी कभी अज्ञानतावश हम आपस में ही लड़ पड़ते हैं, अनायास जीवन में दुःख पैदा कर जीवन यात्रा में जड़ता उत्पन्न कर देते हैं। ये हमारे जीवन का विरोधाभास है जो हमें भटकाता रहा है, अच्छी भली जिंदगी को असहज बनाता रहा है। इस मकड़जाल से बचना होगा। कभी न कभी नकारात्मकता छोड़ सकारात्मकता से जुड़ना होगा। हमें जीवन ऊर्जा को संचित करने के लिए सादा जीवन, उच्च विचार की जीवन पद्धति की ओर लौटना होगा, ताकि जीवन के प्रवाह में बेपरवाह होने से बच सकें, जीवन को पूरी तन्मयता से जीने का सलीका सीख सकें। ...और कभी जीवन में कोई कमी हमें खले नहीं! सभी सुख समृद्धि और संपन्नता को छूएं तो सही!! २४/०२/२०२५.