यह जीवन अद्भुत है। इसमें समय मौन रहकर जीव में समझ बढ़ाता है। यहाँ कठोरता और कोमलता में अंतर्संघर्ष चलता है। कठोर आसानी से कटता नही, वह बिना लड़े हार मानता नहीं, उसे हरदम स्वयं लगता है सही। कोमल जल्द ही पिघल जाता है, वह सहज ही हिल मिल जाता है, वह सभी को आकर्षित करता है। उसके सान्निध्य में प्रेम पलता है। कठोर भी भीतर से कोमल होता है, पर जीवन में अहम क़दम क़दम पर उसका कभी कभी आड़े आ जाता है। सो ,इसीलिए वह खुद को अभिव्यक्त नहीं कर पाता है। कठोर कोमलता को कैसे सहे? सच है, उसके भीतर भी संवेदना बहे। कठोरता दुर्दिनों में बिखरने से बचाती है, जबकि कोमलता जीवन धारा में मतवातर निखार लेकर आती रही है। कठोर कोमलता को कैसे सहे ? वह बिखरने से बचना चाहता है, वह हमेशा अडोल बना रहता है। 24/02/2025.