मनुष्य का इस धरा पर आगमन किस लिए हुआ ? यह अकारण नहीं , क्या इस में कुछ रहस्य छिपा ? मनुष्य योनियों के एक मायाजाल से उभरकर विशेष प्रयोजनार्थ लेता है जन्म। उसमें अन्य जड़ पदार्थों और चेतन प्राणियों की तुलना में कुछ विशेष चेतना धीरे धीरे काल के समंदर से गुज़र कर है विकसित हुई ताकि वह चेतन की अनुभूति कर सके ! निरर्थकता से ऊपर उठकर जीवन की सार्थकता को अनुभूत कर सके ! हमारे यहां सनातन में कर्म चक्र के प्रति आस्था व्यक्त की गई है , कर्म फल यानी कार्य कारण संबंध ! कुछ भी नष्ट नहीं ! महज़ ऊर्जा का रूपांतरण !! इस आस्था के साथ जनम ! जीवन धारा को चेतना बनकर आत्मा में प्रवेश करने का साक्षात निमंत्रण! आवागमन का चक्र इस सृष्टि में चल रहा है। मनुष्य की चेतना में एक ख्याल कि वह इस धरा पर क्यों जन्मा ? क्या मनुष्य को छोड़कर किसी अन्य जीव में आ सकता है ? इस बाबत भी कभी फ़ुर्सत में विचार कीजिए? अपनी दृष्टि को आधार दीजिए ! जीव जगत के बाबत अपना दृष्टिकोण विकसित कीजिए !! अपनी जगत में उपस्थिति को दर्शन की पैनी धार दीजिए ! स्वयं को आत्म बोध करने की दिशा में अग्रसर कीजिए !! २२/०२/२०२५.