आज गुड़िया पहली बार जा रही है गुरु की नगरी अमृतसर वहां वह अपने साथियों के साथ भगत पूर्ण सिंह की कर्मस्थली जाएगी। अपने भीतर वंचितों , शोषितों , अपाहिजों के प्रति करुणा और सद्भावना की अमृत बूंदें लेकर आएगी , अपने भीतर संवेदना का अमृत संचार लेकर आएगी।
पहली बार जब मैं दरबार साहिब गया था तो मुझे वहां दिव्य अनुभूति हुई थी। उम्मीद है कि गुड़िया वहां से दिव्य दृष्टि लेकर आएगी , सच्चा इंसान बनकर अपना जीवन सेवा कार्यों में लगाएगी।
वहीं जालियां वाला बाग भी है देश की आज़ादी में एक विलक्षण घटना का साक्षी। एक देशभक्तों का वध स्थल जिसने देश समाज और दुनिया को दिया था झकझोर ! और फिर जल्दी आई थी आज़ादी की भोर !
वहीं पास ही है दुर्ग्याना मंदिर जहां बहता है आस्था का सैलाब जिससे जीवन में आ सकता है ठहराव आदमी समय के बहाव को महसूस कर जीवन में आगे बढ़ने का निश्चय कर बना सकता है स्वयं को समाजोपयोगी और निडर।
गुड़िया आज अभी अभी गई है पावन नगरी अमृतसर। उम्मीद है कि वह जीवन के लिए वहां से उपयोगी जीवन दृष्टि संचित करके आएगी, अपने जीवन को सार्थकता से जोड़ पाएगी , स्वयं को सकारात्मक बनाएगी। २०/०२/२०२५.