जब चाहकर भी नींद नहीं आती, सोचिए जरा उस समय क्या जिन्दगी में कुछ अच्छा लगता है ? जिन्दगी का पल पल थका थका सा लगता है। नींद की चाहत शेयर मार्केट की तेज़ी सी बढ़ जाती है। ऐसे समय में सोना अर्थात नींद की चाहत सोने से भी अधिक मूल्यवान लगने लगती है। आंखों की पलकों पर नींद की खुमारी दस्तक देने लगे तो सब कुछ अच्छा अच्छा लगता है। समय पर सो पाना ही जीवन में सच्चा और आनन्ददायक , सुख का अहसास होने की प्रतीति कराने लगता है। समुचित नींद न मिल पाए तो सचमुच आदमी को झटका लगता है , उसे जीवन में सब कुछ भटकाता हुआ , खोया खोया सा लगता है। पल पल मन में कुछ खटकता है। जीवन यात्रा में भीतर धक्का लगता सा लगता है। नींद का इंतज़ार बढ़ जाता है। आदमी को कुछ भी नहीं भाता है , भीतर का सुकून कहीं लापता हो जाता है। १९/०२/२०२५.