तेरे आने की उम्मीद तो नहीं है पर, कैसे कह दूं कि तेरा इंतज़ार नहीं है। तुझे देखना तो बहुत शिद्दत से है, मगर तू सामने आए तो तुझे देखना भी नहीं है।
तुझे नज़रों से गिराने का शौक़ तो नहीं, पर तू गिरने के बाद भी कभी मन से उतरा नहीं है। कैसे मान लूं कि मुझे पता है कि तू झूठ बोल रहा है सभी बातें, मगर तेरा सच सुनना भी नहीं है।
तेरा वो नूर देखने को तरस तो गए हैं, पर मेरा वो टूटा हुआ गुरूर याद करना भी नहीं है।