चोरी करना नहीं है कोई आसान काम। यह नहीं कि कोई चीज़ देखी और चोरी कर ली। चोरी के लिए जुगत लड़ानी पड़ती है , कभी कभी चोरी और सीनाज़ोरी की नौबत भी आ जाती है। इसके लिए हर ढंग और तरीका अपनाना पड़ता है , यही नहीं घोर अपमान तक सहना पड़ता है। फिर जाकर चोरी की वारदात सफल हो पाती है , कभी कभी तो जान भी सूखती लगती है, सच में चोरी करते हुए कभी कभी तो उलझन भी होती है।
आज चोरी के क्षेत्र में बहुत ज़्यादा प्रतिस्पर्धा हो गई है , इसलिए हर पल चौकस और चौकन्ना रहना पड़ता है, तब कहीं जाकर सफलता होती है मयस्सर। कभी कभी इसमें रह जाती है कौर कसर , मन के भीतर पनपने लगता है डर। आज चोर को शिकायत है कि अब बड़े बड़े लोग भी इसमें उतर रहे हैं , अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वे नए नए हथकंडे आजमा रहे हैं। चोर की भी अपनी एक नैतिकता होती है , वे इस पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं। चोरी करने वाले कभी कभी बेवज़ह पकड़े जा रहे हैं, बस शक की गुंजाइश की वज़ह से ! बेवज़ह की ज़ोर आजमाइश की वज़ह से ! सभी चोर इस बाबत सतर्क हो जाएं ! कभी भी आसानी से पकड़ में न आएं !! १७/०२/२०२५.