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6d
बच्चे
हरेक स्थिति में
ढूंढ़ लेते हैं
अपने लिए ,
कोई न कोई
अद्भुत खेल !

यदि तुम भी
कभी वयस्कता भूल
बच्चे बन पाओ ,
अपना मूल ढूंढ पाओ ,
तो अपने आप
कम होते जाएंगे
कहीं न पहुँचने की
मनोस्थिति से
उत्पन्न शूल।
जीवन यात्रा
स्वाभाविक गति से
आगे बढ़ेगी।
चेतना भी
जीवन में उतार चढ़ावों को
सहजता से स्वीकार करेगी।
मन के भीतर
सब्र और संतोष की
गूँज सुन पड़ेगी।
कभी कहीं कोई कमी
नहीं खलेगी।

बच्चों के
अलबेले खेल से
सीख लेकर
हम चिंता तनाव कम
कर सकते हैं,
अपने इर्द गिर्द और भीतर से
खुशियाँ तलाश सकते हैं ,
जीवन को खुशहाल कर सकते हैं।
१६/०२/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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   Vanita vats
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