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काल सोया हुआ
होता है
कभी कभी महसूस,
परंतु
वह चुपके चुपके
बहुत सूक्ष्म गतिविधियों को
लेता है अपने में
समेट।
इतिहास
काल की चेतना को
रेखांकित करने की चेष्टा भर है,
इसमें आक्रमणकारियों ,
शासकों ,
वंचितों शोषितों ,
शरणार्थियों इत्यादि की
कहानियां छिपी रहती हैं ,
जो काल खंड की
गाथाएं कहती हैं।

सभ्यताओं और संस्कृतियों पर
समय की धूल पड़ती रही है ,
जिससे आम जन मानस
अपनी नैसर्गिक चेतना को विस्मृत कर बैठा है ,
आज के अराजकतावादी तत्व
आदमी की इस अज्ञानता का लाभ उठाते हैं ,
उसे भरमाते और भटकाते हैं ,
उसे निद्रा सुख में मतवातर बनाए रखते हैं
ताकि वे जन साधारण को उदासीन बनाए रख सकें।

आज देश दुनिया में
जागरूकता बढ़ रही है ,
समझिए इसे कुछ इस तरह !
काल अब करवट ले रहा है !
आम आदमी सच के रूबरू हो रहा है !
वह जागना चाहता है !
अपनी विस्मृत विरासत से
राबता कायम करना चाहता है !
आदमी का चेतना ही
काल का करवट लेना है
ताकि आदमी जीवन की सच्चाई से जुड़ सके ,
निर्लेप, तटस्थ, शांत रहकर काल चेतना को समझ सके ,
समय की धूल को झाड़ सके ,
अतीत में घटित षडयंत्रों के पीछे
निहित कहानी को जान सके ,
अपनी चेतना के मूल को पहचान सके।

काल जब जब करवट लेता है ,
आदमी का अंतर्मानस जागरूक होता है ,
समय की धूल यकायक झड़ जाती है ,
आदमी की सूरत और सीरत निखरती जाती है।
१६/०२/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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