प्यार क्या है ? इस बाबत कभी तो सोच विचार या फिर चिंतन मनन किया होगा। प्यार हो गया बस ! इस अहसास को जी भर के जीया होगा। भीतर और बाहर तक इसकी संजीदगी को महसूसा होगा। प्यार जीवन की ऊर्जा से साक्षात्कार करना है। जीवन में यह परम की अनुभूति को समझना है।
प्यारे ! प्यार एक बहुआवर्ती अहसास है, जो इंसान क्या सभी जीवों को जीवन में बना देता खास है। इसकी तुलना कभी कभी प्याज की परतों के साथ की जा सकती है , यदि इसे परत दर परत खोला जाए तो हाथ में कुछ भी नहीं आता है ! बस कुछ ऐसा ही प्यार के साथ भी घटित होता है। प्यार की प्यास हरेक जीव के भीतर पनपनी चाहिए, यह क़दम क़दम पर जीवन को रंगीन ही नहीं , बल्कि भाव भीना और खुशबू से सराबोर कर देता है , यह चेतना को नाचने गाने के लिए बाध्य कर देता है, कष्ट साध्य जीवन जी रहे जीव के भीतर यह जिजीविषा भर देता है। यह किसी अमृतपान की अनुभूति से कम नहीं, बशर्ते आदमी जीवन में आगे बढ़ने को लालायित रहे , तभी इसकी खुशबू और जीवन का तराना सभी को जागृत कर प पाता है , जीवन को सकारात्मकता के संस्पर्श से सार्थकता भरपूर बना देता है , सभी को गंतव्य तक पहुँचा देता है। इसकी प्रेरणा से जीवन सदैव आगे बढ़ता रहा है, प्यार का अहसास किसी सच्चे और अच्छे मित्र सरीखा होकर मार्ग दर्शन का निमित्त बनता है, जिसमें सभी का चित्त लगता है। प्रत्येक जीव इस अहसास को पाने के लिए आतुर रहा है। वे सब इस दिशा में सतत अग्रसर रहे हैं। इस राह चलते हुए सभी ने उतार चढ़ाव देखे हैं ! जीवन पथ पर आगे बढ़े हैं !! २५/०२/२०२५.