दुनिया सेंट वेलेंटाइन के सद्कर्मों की स्मृति को जन जन में याद कराने , विस्मृतियों से बाहर निकाल कर स्मृति में बसाने की गर्ज़ से उनकी याद में वेलेंटाइन डे मनाती है , पर मेरे देश में कई बार इस दिन अचानक छुप छुप कर मिलने वाले प्रेमी युगलों की शामत आ जाती है। इस बार भी कुछ ऐसा घटित हो सकता है, प्रेम की आकांक्षाओं से भरे युवा और वृद्ध दिल टूट सकते हैं वह भी संस्कृति को बचाने के नाम पर। शायद वे अजंता एलोरा की कंदराओं में दर्ज़ काम और अध्यात्म के जीवन्त दस्तावेज़ो को भूल जाते हैं , जहां जीवन का मूल कलात्मक अभिव्यक्ति पाता है। हमारे मंदिरों में प्रेम का उदात्त स्वरूप देखने को मिलता है , हमारे पुरखे काम के महत्व को गहराई तक आत्मसात कर जीवन का ताना बाना बुनने में सिद्धहस्त रहे हैं। फिर हम क्यों जीवन के इस वैभव से मुँह चुराएं ? क्यों न हम इस वेलेंटाइन डे पर प्रेम भाव का प्रचार प्रसार करने में पहल करें ! कम से कम हम प्रेम के कोमल भावों को नफ़रत की कठोरता में बदलने से गुरेज़ करें , बेशक हम अपने मन की शांति के लिए अपनी संततियों को संस्कारों की ऊर्जा से जीवन्त करने का प्रयास करें , बस प्रेम में आकंठ डूबे प्रेमीजनों को अपमानित करने का दुस्साहस न करें, उनका उपहास न करें। आज सुबह एक युवा स्त्री को बस सफ़र के दौरान इंग्लिश बुक हेट पढ़ते देखा तो मुझे मूवी हेट स्टोरी का ख्याल आया। मैंने शहर और गांव में भटकते हुए वेलेंटाइन डे मनाया। आप भी कभी जी भर कर उच्छृंखल होकर जीवन जीने का प्रयास करें, क्या पता कुछ अचरज़ भरा घटित हो जाए ! इस दिन कोई जीवन में नया मोड़ आ जाए !! तन और मन में से तनाव कम हो जाए! आदमी निडर होकर सलीके से जीना सीख पाए। १४/०२/२०२५.