कभी कभी सच्ची और खरी बातें समझ से परे होती हैं। खासकर जब ये देश हितों पर कुठाराघात करती हैं , ऐसे में ये आम आदमी के भीतर असंतोष पैदा करती हैं।
बात करने वाला बेशक अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर मानवीयता भरपूर बातें कह जाता है , ये बातें मन को अच्छी लगती हैं। इन्हें क्रियान्वित करना व्यावहारिक नहीं , देश समाज में घुसपैठ करने वाला देश विशेष के नागरिकों के विशेषाधिकार हासिल करने का अधिकारी नहीं। पता नहीं क्यों देश का बुद्धिजीवी वर्ग इस सच को समझता ? कभी कभी बुद्धि पर पर्दा पड़ जाता है। आम और खास आदमी तक भावुकता में पड़ कर देश हित को नज़र अंदाज़ कर जाता है , जिसका दुष्परिणाम भावी पीढ़ियों को भुगतना पड़ता है। देश समाज के हितों का हमेशा ध्यान रखा जाना चाहिए नाकि मानवाधिकार के नाम पर अराजकता की ओर अग्रसर होना चाहिए। कभी कभी समझ से परे के फैसले चेतना को झकझोर देते हैं ! ये निर्णय यकीनन देश समाज की अस्मिता की गर्दन मरोड़ देते हैं , इंसानों को अनिश्चितता के भंवर में छोड़ देते हैं , असुरक्षित और डरने के लिए ! ऐसे लोगों की बुद्धिमत्ता का क्या करें ? क्यों न उन्हें उनकी भाषा में उत्तर दें , उनको गहरी नींद से जगाएं ! देश दुनिया और समाज के हितों को बचाएं !! १४/०२/२०२५.