हे मन! तुम कुछ अच्छा नहीं कर सकते तो क्या हुआ ? बुरा तो कर सकते हो ? बस ! एक काम करना। वह है ! हरेक बुरे काम के बाद विष्णु का नाम लेना ! यहां तक कि अपने परिवारजनों के नाम भी विष्णु के सहस्रों नामों पर रखना ! अपने मित्रों और दुश्मनों के नाम भी मन ही मन बदल देना , उनके नाम भी विष्णु जी के प्रचलित नामों पर रखना! और हां! दिन रात उठते बैठते चलते फिरते सोते जागते हरि हरि करना ! तब स्वयंमेव बदल जाओगे ! अपने को जान जाओगे ! हे मन ! तुम तम के समंदर को लांघ जाओगे ! अपनी क्षुद्रताओं को भस्मित कर पाओगे ! मन के गगन के ऊपर स्वचेतना को हर पल पुलकित होते पाओगे। अपनी क्षमता को जान जाओगे। १३/०२/२०२५.