यह उदासी ही है जो जीवन को कभी कभी विरक्ति की ओर ले जाती है , आदमी को थोड़ा ठहरना, चिंतन मनन करना सिखाती है।
उस उदासी का क्या करें ? जो हमें निष्क्रिय करे , जीवन धारा में बाधक बने। क्यों न सब इस उदासी को जीवन के आकर्षण में बदलने का सब समयोचित प्रयास करें ! उदासी को देखने की दृष्टि में तब्दील करें !! ११/०२/२०२५.