इस धरा पर जीवन कहाँ से आया ? शायद कहीं कायनात में छिपे उस क्षण से , जिससे सृष्टि में उल्का पिंड और विभिन्न तत्वों के उत्पन्न होने की शुरूआत हुई।
सुनता हूँ इस धरा पर उल्का पिंडों से धरा पर जीवन का आविर्भाव हुआ।
यह भी सुनता हूँ कि दशावतार की गाथा में जीवन यात्रा का छिपा हुआ है उद्गम। यह सोच बड़ी है सूक्ष्म। जीवों की जीवन यात्रा में निहित है जीवन का मर्म ! इसे समझना और पल्लवित करना जीवन के उद्गम से लेकर विकसित होने तक बना हुआ है जीव धर्म। हरेक जीव अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संतति को बढ़ाता है, जिससे जीवन धारा विकसित होती है, जीवन यात्रा उत्तरोत्तर अपने आप सतत पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती है, जीवों को जीवन की सार्थकता की अनुभूति होती है।
चुपचाप जीवन की गति पूर्णता को प्राप्त करती है, जीवन यात्रा आगे बढ़ती है। ०८/०२/२०२५.