अनंत काल से दुनिया का नक्शा राजनीतिक हलचलों की वज़ह से बदला गया है पर जमीन और समन्दर दिशाएं कौन बदल पाया है ? कोई सम्राट और विश्व विजेता तक ! सब उन्माद और अभिमान के कारण भटके हुए हैं। इतिहास की पुस्तकों में अटके हुए हैं।
आज मुझे अपनी बिटिया के लिए चार्ट पर दुनिया का नक्शा बनाना पड़ा। मैं उलझ कर रह गया। दुनिया का नक्शा मुझे बहुत कुछ कह गया।
देश, समन्दर और जमीन, नदियां, झीलें, झरने , पहाड़, मैदान, मरूस्थल, पठार सब नक्शे में दर्शाए जाते हैं, कागज़ के ऊपर बनाए और मिटाए जाते हैं, मज़ा तो तब है जब उनकी निर्मिति को दिल से समझा जाए, उन्हें बचाया जाए। उन्हें देखने के लिए देश और दुनिया भर में घूमा जाए। ऐसा चुपके-चुपके दुनिया के नक्शे ने मुझसे गुज़ारिश की , मैंने भी मौन रहकर दुनिया घूमने और मतभेद भुलाने की आंकाक्षा अपने भीतर भरी, और चुपचाप अहसास की दुनिया में बह गया। सच! दुनिया का नक्शा मुझसे बरबस संवाद रचा गया। संवेदना को बचाने के लिए मूक याचना कर गया। मुझे चेतन कर गया। ०७/०२/२०२५.