जीवन भरपूर आनंद से जीना एक स्वप्न सरीखा बन जाता है लोगों के लिए इसलिए बेहद ज़रूरी है कि जिंदगी को जीया जाए जिंदादिल बने रहकर संघर्षों के बीच बने रहकर जिजीविषा सहित हरेक उतार चढ़ाव के साथ भीतर और बाहर से तने रहकर , हरपल खिले रहकर । यह सब सीखना है तो गुलाब का जीवन चक्र देखिए , इस के रूप ,रंग ,गंध, मुरझाने ,धरा में मिल जाने की प्रक्रिया को अपने अहसास में भरकर ! ताकि जीवन यात्रा कर सके आदमी एकदम से निर्भय होकर !! कहीं आदमी असमय न मुरझा जाए , अतः अपरिहार्य है जिन्दगी जीनी चाहिए बंदगी करते हुए !! अपने तन और मन की गंदगी को अच्छे से साफ करते हुए !! सकारात्मकता और स्वच्छता से जुड़ते हुए !! जीवन पथ पर अग्रसर होकर सतत सार्थकता का वरण करते हुए !! ज़िंदगी जीओ बन्दगी करते हुए !! स्वयं को संतुलित रखते हुए!! ०५/०२/२०२५.